शनिवार, 5 सितंबर 2015

भजन सरोवर

भजन - भाव 

सुभद्रा सोनी - दुर्गा सोनी 


गुरूजी

राम नाम की नैया लेकर सतगुरु करे पुकार
आओ मेरी नैया में ले जाऊं भव से पार

जो कोई इस नैया में चढ़ जायेगा
जनम-जनम का मैला मन धुल जाएगा

पाप की गठरी धरी सीस कैसे आऊँ मैं
अपने ही अवगुण से भगवन खुद शरमाऊँ मई

तेरी नैया साँची रे भगवन मेंरे पाप हजार
आओ मेरी नैया में ले जाऊं भव से पार

कर के कृपा सतगुरुजी ने चूनर रंग डाली
भक्ति भाव की भाषा उसमे लिख डाली

रंग भरी मेरी चुनरिया हो गई लालम-लाल
आओ मेरी नैया में ले जाऊं भव से पार

सब कुछ छोड़ दे मेरे हाथों में
साँस साँस सब जोड़ दे मेरे हाथों में

पाप पुण्य का बन कर आया मैं हूँ ठेकेदार
आओ मेरी नैया में ले जाऊं भव से पार

बड़े भाग्य से सतगुरुजी का प्यार मिला
मानव जीवन जीने का अधिकार मिला

जीव मेरा जब डूबन लागे आ गयो खेवन हार
आओ मेरी नैया में ले जाऊं भव से पार

राम नाम की नैया लेकर सतगुरु करे पुकार
आओ मेरी नैया में ले जाऊं भव से पार


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   *राधा का घर अंगना *

राधा का घर अँगना फूलों से महकता है
राधा तेरे शीश का टीका चमकता है
टीके को देख करके मेरा कान्हा मचलता है
राधा का घर अँगना………

राधा तेरी कानों की झुमकी चमकती है
झुमकी को देख करके मेरा कान्हा मचलता है
राधा का घर अँगना………

राधा तेरे गले का हरवा चमकता है
हरवे  को देख करके मेरा कान्हा मचलता है
राधा का घर अँगना………

राधा तेरे हाथों का गजरा महकता है
गजरे को देख करके मेरा कान्हा मचलता है
राधा का घर अँगना………

राधा  पैरों की पायल झनकती हैं
पायल की रन-झुन से मेरा कान्हा मचलता है
राधा का घर अँगना………

राधा तेरे अंग अंग की साडी  सदी चमकती है
साडी को देख करके मेरा कान्हा मचलता है
राधा का घर अँगना………

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राधा  के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम

रहे मेरे मुख में सदा तेरा नाम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।

कोई दुनिया की ताकत जुदा न करे
मिले जो मुझे राधा-राधा कहे
मिले जो मुझे राधा-राधा कहे
मुझे तो न मरने जीने से काम

ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।।

इन नजरों ने तेरी दिलासा दिया
इन नजरों ने तेरी दिलासा दिया
मुझे अपना  तुमने बना ही लिया
कहे तुमको सब ही यशोदा के लाल

ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।।

चाहे मुझको कोई दीवाना कहे
दीवाना कहे या मस्ताना कहे
मुझे तो है प्यारा  प्रभु तेरा नाम

ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।।

अब चरणो में मुझको बिठा लो प्रभु
और अपने में मुझको मिलालो प्रभु
रटूं तेरा नाम मई सुबह और शाम

ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।।

कोई दुनिया की ताकत जुदा न करे
मिले जो मुझे राधा-राधा कहे
मिले जो मुझे राधा-राधा कहे
मुझे तो न मरने जीने से काम

ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।।

इन नजरों ने तेरी दिलासा दिया
इन नजरों ने तेरी दिलासा दिया
मुझे अपना  तुमने बना ही लिया
कहे तुमको सब ही यशोदा के लाल

ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।।

चाहे मुझको कोई दीवाना कहे
दीवाना कहे या मस्ताना कहे
मुझे तो है प्यारा  प्रभु तेरा नाम

ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।।

अब चरणो में मुझको बिठा लो प्रभु
और अपने में मुझको मिलालो प्रभु
रटूं तेरा नाम मई सुबह और शाम

ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम
ओ राधा के श्याम ओ मीरा के श्याम।।

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ऊधौ जा कहियो मैया से तेरो लाला याद करे

ये द्वारिका नगरी मोहे नेकहुँ ना भावे
मैया तेरे गोकुल की मोहे याद बहुत आवै
ऊधौ जा कहियो मैया से तेरो लाला याद करे।।

मैया तेरी गोदी की मोहे याद बहुत आवै
ऊधौ जा कहियो मैया से तेरो लाला याद करे।।

ये छप्पन प्रकार के भोजन मोहे नेकहुँ न भावे
मैया तेरे माखन की मोहे याद बहुत आवै
ऊधौ जा कहियो मैया से तेरो लाला याद करे।।

ये सोला हजार पटरानी मोहे नेकहुँ न भावे
मैया तेरी राधा की मोहे याद बहुत आवै
ऊधौ जा कहियो मैया से तेरो लाला याद करे।।

ये सोने का पलना मोहे नेकहुँ न भावे
मैया तेरी गोदी की मोहे याद बहुत आवै
ऊधौ जा कहियो मैया से तेरो लाला याद करे।।



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खिचड़ो 

म्हारा कानूडा गिरधारी, कर्मा बिनती कर कर हारी, बेटी जाट री
बापू दूजे गाँव सिधारो, थारो मन्दरियो सम्भलायो, सरो पूजा ढंग सिखायो  बेटी जाट री।।

बेटी तड़के उठ कर अइयो, म्हारा गिरधर ने न्हवइयो, पूजा करके भोग लगइयो
मीठ पानी से नहलायो, ऊंचे आसान पर बैठाओ, चन्दनं तिलक लगायो, बेटी जाट री

जड़ कर मन्दरिया में ताली, कर्मा गीत गावती चाली, ल्याई खीचड़लो भर थाली
लड़के छाछ राबड़ी ल्याऊं मीठा गुड री खीर बणाऊं, उठ कर गैया को जिमाऊं, बेटी जाट री।।

म्हारी भूल बतादो सारी, क्यूँ थें रूठ्या कुंजबिहारी, म्हाने गली गाल्यां पड़ती खारी
बापू बहार गाओं से आवै, म्हारे मुक्यां से धमकावै,कर्मा आंसूड़ा ढलकावै, बेटी जाट री।।

थारे गर्दन काट चडाऊँ, या मैं जहर खाय मर जाऊं, तो थाने आज जिमाऊं,
पड़दो आड़ में कर- कर दीनो, मोहन खीचड़लो खा लीनो, भोला भगतां दरसन दीनो,बेटी जाट री।।

म्हारा कानूडा गिरधारी, कर्मा बिनती कर कर हारी, बेटी जाट री
बापू दूजे गाँव सिधारो, थारो मन्दरियो सम्भलायो, सरो पूजा ढंग सिखायो  बेटी जाट री।।


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रामायण 


हमें निज धर्म पर चलना,बताती रोज रामायण ।
सदा शुभ आचरण करना ,सिखाती रोज रामायण ।।
जिन्हें संसार सागर से उतर कर पार जाना है ।
उन्हें सुख के किनारे पर लगाती रोज रामायण ।।
कहीं छवि विष्णु की बाँकी कहीं शंकर की है झाँकी ।
हृदय आनन्द झूले पर झुलाती रोज रामायण ।।
सरल कविता की कुंजों मे बना मंदिर है हिन्दी का ।

जहां प्रभु प्रेम का दर्शन कराती रोज रामायण ।।


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गजानन की होली

मच रहि रणतभंवर में होली, खेले गणपतिजी महाराज।

ब्रह्मलोक से ब्रह्मा आये, ब्रह्माणी के साथ ,
गौरा मैया के संग आये, तिरलोकी के नाथ ,
मच रहि रणतभंवर में होली, खेले गणपतिजी महाराज।

सुरपति के संग नारद आये, गावे राग धमार,
वृन्दावन से बाँके-बिहारी, ले वृसभान दुलार,
मच रहि रणतभंवर में होली, खेले गणपतिजी महाराज।

रिद-सिद लाल-गुलाबी हो रई, आनंद को नहीं पार
मोद-प्रमोद अपार संग में, प्रीत भरी मनुहार
मच रहि रणतभंवर में होली, खेले गणपतिजी महाराज।

लाल भी मणिमाल गले की, लाल ही कुण्डल कान


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देव वंदना 

पहले पूजूँ गणेश को ब्रह्मा विष्णु महेश को 
नारद को और शेष को सबको मेरा प्रणाम है। 

गौरां को गौरीश को जगन्नाथ जगदीश को 
नाथ द्वारकाधीश को सबको मेरा प्रणाम है। 

रामचन्द्र रघुवीर को लक्ष्मण से रणधीर को 
बजरंगी महावीर को सबको मेरा प्रणाम है। 

नंदराय से दाता को बलदाऊ से भ्राता को 
कृष्णचन्द्र सुखदाता को सबको मेरा प्रणाम है। 

सरस्वती माँ शारदा को श्रीमती यशोदा माता को 
लक्ष्मी को और माया को सबको मेरा प्रणाम है। 

कलकत्ते की काली को चंडी खप्पर वाली को 
बागेश्वरी मतवाली को सबको मेरा प्रणाम है।

वृंदा तुलसी मैया को सूरज शशि और चन्दा को 
सागर सिंधु नंदा को सबको मेरा प्रणाम है। 
  
गंगा मैया रेवा को सरयू  शिप्रा मैया को 
नंदीगण माँ गैया को सबको मेरा प्रणाम है।

मात-पिता गुरुदेव को सास-सुसर पतिदेव को 
घर के सब कुलदेव को सबको मेरा प्रणाम है।


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तेरे जैसा राम भगत

तेरे जैसा राम भगत कोई हुआ ना होगा मतवाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला।

आज अवध की शोभी लगती स्वर्ग लोक से भी प्यारी,
१४ वर्षों बाद राम की राजतिलक की तयारी।
हनुमत के दिल की मत पूछो झूम रहा है मतवाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥

रतन जडित हीरो का हार जब लंकापति ने नज़र किया,
राम ने सोचा आभूषण है सीता जी की और किया।
सीता ने हनुमत को दे दिया, इसे पहन मेरे लाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥

हार हाथ में ले कर हनुमत गुमा फिरा कर देख रहे,
नहीं समझ में जब आया तब तोड़ तोड़ कर फैंक रहे।
लंकापति मन में पछताया, पड़ा है बंदिर से पाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥

लंकापति का धीरज टूटा क्रोध की भड़क उठी ज्वाला,
भरी सभा में बोल उठा क्या पागल हो अंजलि लाला।
अरे हार कीमती तोड़ डाला, पेड़ की डाल समझ डाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥

हाथ जोड़ कर हनुमत बोले, मुझे है क्या कीमत से काम,
मेरे काम की चीज वही है, जिस में बसते सीता राम।
राम नज़र ना आया इसमें, यूँ बोले बजरंग बाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥

इतनी बात सुनी हनुमत की, बोल उठा लंका वाला,
तेरे में क्या राम बसा है, बीच सभा में कह डाला।
चीर के सीना हनुमत ने सियाराम का दरश करा डाला,
एक ज़रा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला॥

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भिलनी 

मीठे लगे तेरे बेर, भिलनी  मीठे लगे तेरे बेर.
कोन नगर से तुम लाई हो ऐसे मीठे बेर
भिलनी  मीठे लगे तेरे बेर.

प्रेमनगर से हम लाए हैं , ऐसे मीठे बेर।
भिलनी  मीठे लगे तेरे बेर.

हँस मुस्काए कहत राम जी , खाने पड़ेंगे ये बेर.
भिलनी  मीठे लगे तेरे बेर.

द्रोणा गिरी परबत पे जा कर, संजीवनी बने बेर।
भिलनी  मीठे लगे तेरे बेर

शक्ती बाण लग्यो लक्ष्मण को, प्राण बचाये बेर।
भिलनी  मीठे लगे तेरे बेर.

ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

ऊधो 

श्याम बड़े छलिया कुंजन में छोड़ गए ऊधो

जो हम होती जल की मछलियाँ , श्याम करात स्नान
चरण छू लेती रे ऊधो

जो हम होती बेला चमेलिया, श्याम पहनते माल
गले लग जाती रे ऊधो

जो हम होती बाँस की बाँसुरिया, श्याम लगाते अधर
राग बन जाती रे ऊधो

जो हम होती बन की हिरनिया, श्याम चलते बाण
प्राण ताज देती रे ऊधो

ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

गीता ज्ञान

जब तन से निकले प्राण मेरे मुझे गीता ज्ञान सुना देना।
बर्बाद न करना देह मेरी, मुझे यमुना किनारे पहुंचा देना।

जो भकत हो मेरे भगवन का, जो भजन करे मेरे मोहन का।
जहँ किरतन हो मेरे कान्हा का वहँ जा कर सीस झुका देना।

हरी नाम की माला लेकर के हरि भक्तों से जा कर कह देना।
जँह मूरत हो मेरे मोहन की वहां प्रेंम की माला पिना देना।

हरि नाम का डंका लेकर के हरि भक्तों से जा कर कह देना।
मीरा की नैया भवसागर प्रभु आ कर पार लगा देना


ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

राम भजन


दसरथ राज दुलारा हमें तो बड़ा प्यारा लगे
कौसल्या की आँख का तारा हमें तो बड़ा प्यारा लगे.

सीस मुकुट मकराकृत कुण्डल गल बैजंती माला
हमें तो बड़ा प्यारा लगे

छोटे छोटे हाथ में छोटे से धनुष, दानुष का टंकारा
हमें तो बड़ा प्यारा लगे

छोटे छोटे चरणों में छोटी छोटी पायल का झंकारा
हमें तो बड़ा प्यारा लगे

दसरथजी का प्यारा, कौसल्या दुलारा सिया दुल्हनिया वारा
हमें तो बड़ा प्यारा लगे


ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं
मुरली


श्याम तेरी मधुर मुरली, मेरे मन को भाई है
वारि जाऊँ कारीगर पे, ये जिसने बनाई है

मथुरा में जनम लिया, गोकुल में आया है
वारि जाऊँ वृन्दावन पे जहाँ रास रचाया है
श्याम तेरी मधुर मुरली,,,,,,,,






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