नजरिया
किसी गाँव में दो साधू एक झोपडी में रहते थे। एक दिन गाँव में आंधी आई और उनकी आधी झोपडी टूट गई है। यह देखकर पहला साधू बुदबुदाने लगता है ,” भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है। मैं दिन भर तेरी पूजा करता हूँ फिर भी तूने हमारी झोपडी तूने तोड़ दी, ये तेरा ही काम है।
तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुसी-ख़ुशी नाचने लगता है और कहता है भगवान् आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है। ये हमारी आधी झोपडी तूने ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी – तूफ़ान में तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती, ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढंकने को जगह है। निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है , कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा , मेरा तुझपर विश्वास अब और भी बढ़ गया है, तेरी जय हो !
एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों ने कितने अलग-अलग ढंग से देखा। हमारी सोच हमारा भविष्य तय करती है। अतः हमें दूसरे साधू की तरह विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच सकारात्मक बनाये रखनी चाहिए।
सर्जना मंच
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Song Of Youth
(यौवन का गीत )
As a young citizen of India,
armed with technology,
knowledge and love for my nation,
I realize, small aim is a crime.
भारत के एक युवा नागरिक के नाते
टेक्नोलॉजी से लैस
ज्ञान और मेरे देश के प्रेम से सराबोर
मुझे यकीन है, छोटा ध्येय बनाना एक अपराध है
I will work and sweat for a great vision,
the vision of transforming India into a developed nation,
powered by economic strength with value system
मै एक महान दृष्टिकोण के लिए कर्म करूंगा और पसीना बहाऊंगा,
ऐसा दृष्टिकोण जो भारत को विकसित देश में परिणित कर सके,
मूल्यांकन प्रणाली के आधार पर आर्थिक-शक्ति से संचालित हो
I am one of the citizens of the billion;
Only the vision will ignite the billion souls.
मैं (देश के) अरबों नागरिकों में से एक हूँ ;
केवल दृष्टिकोण ही अरबों आत्माओं को आहूत करेगा
It has entered into me ;
The ignited soul compared to any resource is the most
powerful resource on the earth,
above the earth and under the earth.
यह (विचार) मुझ में घर कर गया है,
एक आहूत-आत्मा किसी भी संसाधन से तुलनीय होकर
धरा पर सबसे शक्तिशाली है
I will keep the lamp of knowledge burning to achieve the
vision - Developed India
मै यह दृष्टिकोण प्राप्त करने को ज्ञान का दीप जला कर रखूँगा
If we work and sweat for the great vision with ignited minds,
the transformation leading to the birth of vibrant developed
India will happen.
यदि दृष्टिकोण के लिए आलोकित मस्तिष्क से कर्म युक्त हो पसीना बहाएं,
यह परिणति गतिमान विकसित देश को जन्म देगा
I pray the Almighty:
"May the divine peace with beauty enter into our people;
Happiness and good health blossom in our bodies, minds and
souls".
मई उस सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ ;
"सौंदर्य के साथ दैवीय शांति जन-गण में उतरे "
स्वास्थ्य और प्रसन्नता देह, मस्तिष्क और आत्मा में खिल उठे,
A.P.J. Abdul Kalam
(अबूल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम)
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सूफी कहते हैं कि तुम जब प्रार्थना करो तो रात के गहन अंधकार में, जब तुम्हारे बच्चे और तुम्हारी पत्नी भी सो गई हो तब करना। क्यों? क्योंकि किसी को पता चल जाए कि तुम प्रार्थना कर रहे हो, इससे हर्जा नहीं है; लेकिन किसी को यह पता चल जाए कि तुम प्रार्थना कर रहे हो, इससे तुम्हें रस पैदा होता है और तुम्हारा अहंकार निर्मित होता है। तब तुम, किसी को पता चले, इसीलिए प्रार्थना करने लगते हो। तब परमात्मा की खोज तो दूर रह जाती है, प्रार्थना भी अहंकार बन जाती है। लोग जानें कि तुम साधक हो, लोग जानें कि तुम खोजी हो, लोग जानें कि तुम परमात्मा की यात्रा पर निकले हो– तुम्हारी चेष्टा है, यह चेष्टा ही बाधा बन जाएगी।
जीसस ने कहा है, तुम बाएं हाथ से दो तो तुम्हारे दाएं हाथ को खबर न लगे।
तुम दान करो तो पता न चले, तुम पुण्य करो तो पता न चले;
तुम्हीं को पता न चले, कानों-कान खबर न हो। देना और भूल जाना।
सूफी कहते हैं, नेकी कर और दरिया में डाल। उसको घर मत ले आना। उसको हृदय में मत रख लेना कि मैंने अच्छा किया, कि मैंने पूजा की, कि प्रार्थना की, कि पुण्य किया, कि दान किया, सेवा की। अगर तुम्हारा कर्ता आ गया तो तुमने गंवा दिया; पाया कुछ भी नहीं। तो दूसरे को पता न चले। क्योंकि दूसरे की आंखों में अपनी झलक देख कर तुम्हारा अहंकार बड़ा होता है।
तुम दान करो तो पता न चले, तुम पुण्य करो तो पता न चले;
तुम्हीं को पता न चले, कानों-कान खबर न हो। देना और भूल जाना।
सूफी कहते हैं, नेकी कर और दरिया में डाल। उसको घर मत ले आना। उसको हृदय में मत रख लेना कि मैंने अच्छा किया, कि मैंने पूजा की, कि प्रार्थना की, कि पुण्य किया, कि दान किया, सेवा की। अगर तुम्हारा कर्ता आ गया तो तुमने गंवा दिया; पाया कुछ भी नहीं। तो दूसरे को पता न चले। क्योंकि दूसरे की आंखों में अपनी झलक देख कर तुम्हारा अहंकार बड़ा होता है।
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